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एनसीसी चीफ ऑफिसर मदनलाल आर्य की आवाज में थी शेर सी दहाड़,बिना माइक के गूंजता था स्टेडियम
लाडनूं-नगर में शायद ही ऐसा कोई होगा जो ‘आर्य साहब को नही जानता होगा समूचे नगर में ‘गुरुजी’ के आदरास्पद संबोधन से पहचाने जाने वाले नेशनल कैडेट कोर (एनसीसी) के चीफ ऑफिसर व शारीरिक शिक्षक मदनलाल आर्य की आवाज किसी माइक की मोहताज नही थी हर व्यक्ति यही कहता है कि मानो उनकी दबंग आवाज में शेर सी दहाड़ हो व कदमो की चाल से ही उनके आने का अहसास हो जाता था। रग रग में राष्ट्रभक्ति के भावों से ओत प्रोत एम एल आर्य बेहद कड़क अनुशासन प्रिय व रौबीली छवि के धनी थे जिनको देखते ही उनके तेज का अहसास हो जाता था ।
इनका जन्म 6 अप्रैल 1932 को ब्यावर में हुआ बाल्यकाल की शिक्षा सनातन धर्म संस्थान में प्राप्त की व 1951 में लाडनूं महावीर उच्च माध्यमिक विद्यालय में आए। एनसीसी में इनकी कुशल सेवाओ के चलते संभाग स्तर पर भी इन्हें विशेष सम्मान से नवाजा गया।
आर्य ने अपने कुशल नेतृत्व में देश के भावी भविष्य हेतु सैंकड़ो ही नही अपितु हजारों की संख्या में युवाओं का सर्वगुणी विकास किया इनके सैंकड़ो सदस्य वर्तमान में भी विभिन्न क्षेत्रों के उच्च ओहदों पर पदासीन है।बचपन मे ही इनके माता पिता की मृत्यु हो जाने के बाद अपने दो छोटे भाइयों को भी शिक्षित कर राष्ट्रपति से सम्मानित होने योग्य तक बनाया अनेकानेक शिष्यों के जीवन को मजबूत बनाने वाले आर्य का स्वयं का जीवन भी किसी अजेय योद्धा से कम नही रहा। बाल्यकाल में देश की आजादी से पूर्व ही गोरे अंग्रेजो को चिढ़ाने व उन पर पत्थर फेंकने का खेल खेलने वाले आर्य दृढ़ अडिग व अटल रहने के साथ बेहद स्वाभिमानी रहे। इनका विराट व्यक्तित्व व कर्मठ कृतित्व आज भी नगर में सदैव सम्मान के साथ याद किया जाता है। स्थानीय डॉ एस के गुह्राय स्टेडियम में स्वतंत्रता व गणतंत्र दिवस पर जब परेड की सलामी लेते थे तो कोसों दूर तक इनकी आवाज सुनने को मिलती थी ‘अटेंशन’शब्द की वो जोशीली आवाज सैंकड़ो की भीड़ में भी हलचल की आहट तक नही होने देती थी।
30 वर्षो से अधिक समय तक इन्होंने अपने विशिष्ट नेतृत्व से लाडनूं को लाभान्वित किया। आर्य हॉकी व कुश्ती के साथ साथ फुटबॉल,कबड्डी के भी शानदार खिलाड़ियों में से एक थे।अंग्रेजी व भूगोल विषय के अच्छे ज्ञाता होने के साथ साथ वैदिक संस्कृति के विशेष संवाहक थे। नियमित रूप से व्रद्ध अवस्था मे भी शारिरिक व्यायाम हवन पूजन से दूरी नही होने दी । आर्य सदैव वाइट शर्ट वाइट पेंट व ब्लू कोर्ट में ही मूछों पर ताव देते ही नजर आते थे। शिक्षा के अलावा सामाजिक व धार्मिक कार्यो में भी अग्रणी रहते हुए आर्य समाज मे मंत्री,प्रतिष्ठित रामानंद गौशाला में उपमंत्री अणुव्रत समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष, दशहरा मेला के संस्थापक सदस्यों में नींव का पत्थर सम्मान,विश्व हिंदू परिषद के कोषाध्यक्ष,राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ,आर्य वीर दल,महावीर हीरोज,लाड मनोहर बाल निकेतन में प्राचार्य सहित नगर की लगभग हर सभा संस्था में पदाधिकारी के रूप में अपना प्रतिनिधित्व करते थे। इतना ही नही इनके जीवन की अंतिम यात्रा भी काफी अनूठी रही 26 जनवरी के विशेष दिन पर वंदेमातरम की धुन के साथ सैंकड़ो की संख्या में नगरवासियों का सैलाब उमड़ पड़ा बाजार मानो थम से गए व वैदिक मंत्रोच्चार के साथ आर्य का शरीर पंचतत्व में विलीन हो गया किन्तु इनके जीवन की जीवंतता व जीवटता सदैव चिर स्मरणीय है।
इनकी स्मृति में नगर में मदनलाल भवंरी देवी आर्य उच्च माध्यमिक स्तर के विद्यालय का संचालन पुत्रवधु कंचनलता आर्य कर रही है वही इनके पुत्र आर्य समूह के निदेशक व मरुसन्देश राष्ट्रीय समसामयिक पाक्षिक समाचार का 17 वर्षो से प्रकाशन कर रहे है। इनके सम्मान में संस्था द्वारा डाक टिकिट का प्रकाशन भी नगर में किया गया।
Madanlal Arya
NCC Chief Officer
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